चिड़िया
पहचानती है अपना दुश्मन
चाहे वह
बिल्ली हो या काला भुजंग .
वह
जिस चोंच से
बच्चों को
चुग्गा चुगाती है
और
किसी लुभावने मौसम में
चिड़े की पीठ गुदगुदाती है
उसी चोंच को
हथियार बनाना जानती है।
आभास होते हुए भी
कि घोंसले में दुबके बच्चे
पंख उगते ही
उड़ जाएँगे फुर्र से
अनजानी दिशाओं में,
आता देख
भयंकर विषधर
चिड़िया टूट पड़ती है उस पर
जान जोखिम में डाल
करती है दर्ज
अंतिम दम तक
अपना प्रतिरोध।
भविष्य में नहींपहचानती है अपना दुश्मन
चाहे वह
बिल्ली हो या काला भुजंग .
वह
जिस चोंच से
बच्चों को
चुग्गा चुगाती है
और
किसी लुभावने मौसम में
चिड़े की पीठ गुदगुदाती है
उसी चोंच को
हथियार बनाना जानती है।
आभास होते हुए भी
कि घोंसले में दुबके बच्चे
पंख उगते ही
उड़ जाएँगे फुर्र से
अनजानी दिशाओं में,
आता देख
भयंकर विषधर
चिड़िया टूट पड़ती है उस पर
जान जोखिम में डाल
करती है दर्ज
अंतिम दम तक
अपना प्रतिरोध।
वर्तमान में जीती है चिड़िया
इसी लिए हार कर भी
हर बार जीतती है चिड़िया