मंगलवार, 27 जुलाई 2010

बदलते सन्दर्भ :कुछ शब्द चित्र

बदलते सन्दर्भ:कुछ शब्द चित्र
(1)
विदेह
भ्रूण पर हल चला
कर रहें हैं
अजन्मी सीता की
देह का हरण.
ले ली है सुषेणों ने
सोने की लंका में शरण
(2)
संजय
सुना रहे हैं अनवरत
अश्लीलता का
आंखों देखा हाल
मुदित हैं ध्रृतराष्ट्र.
(3)
सन्दीपनी शिष्य सुदामा
निकल पड़े हैं
उगाहने चंदा
कांख मे दबी
प्राप्ति पुस्तिका देखते ही
मित्रवर कृष्ण
उड़का देते हैं किंवाड़.
(4)
ज्यों ही
नीलआर्मस्ट्रांग ने
रखा चांद पर
पहला कदम अपना
पूरा हुआ
रावण का अधूरा सपना.
(5)
टहलते देख अन्तरिक्ष मे.
सुनीता विलियम्स को
महाराज सत्यव्रत त्रिशंकु हुए प्रसन्न
विश्वामित्र की तरह कोई
आज भी है अडिग
देवराज के विरुद्ध.





1 टिप्पणी:

उमेश महादोषी ने कहा…

अच्छी यथार्थपरक क्षणिकाएं हैं विशेष रूप से तीसरी और आखिरी